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13 Oct 2023 · 1 min read

* प्यार के शब्द *

** गीतिका **
~~
प्यार के शब्द हम बोलते रह गये।
जीत कर भी मगर हारते रह गये।

साथ चलना पड़ा जब हमें दो कदम।
क्यों मगर आप कुछ सोचते रह गये।

एक नन्हीं किरण जब जगी आस की।
आपकी ओर हम देखते रह गये।

दूर जब हो सके मन के संशय नहीं।
थे कदम आपके ठिठकते रह गये।

आज हासिल उन्हें कुछ नहीं हो सका।
व्यर्थ मुर्दे गड़े खोदते रह गये।

दोष देना किसी को उचित तो नहीं।
कर्म थे जो किए भोगते रह गये।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, १३/१०/२०२३

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