“ प्यार के रोग का मैं शिकार हो गया”
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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तुम्हारी नज़र से नज़र जब मिली तो,
होश मेरे खो गए मैं बेकाबू हो गया !
दिल्लगी की बातें ना समझना सनम ,
प्यार के रोग का मैं शिकार हो गया !!
तुम्हारी नज़र से नज़र जब मिली तो,
होश मेरे खो गए मैं बेकाबू हो गया !
दिल्लगी की बातें ना समझना सनम ,
प्यार के रोग का मैं शिकार हो गया !!
तुम्हें क्या पता हैं,
मेरे दिल से पूछो !
मेरा हाल क्या है,
जरा तुम भी सोचो!!
तुम्हें क्या पता हैं,
मेरे दिल से पूछो !
मेरा हाल क्या है,
जरा तुम भी सोचो!!
रहूँगा नहीं तुमको अब देखे बिना ही ,
मेरे रोग का ना जाने क्या हो गया !
दिल्लगी की बातें ना समझना सनम ,
प्यार के रोग का शिकार बन गया !!
जग से मैं क्यूँ ,
डर के जीने लगा !
अब तो जिंदगी में ,
प्यार करने लगा !!
जग से मैं क्यूँ ,
डर के जीने लगा !
अब तो जिंदगी में ,
प्यार करने लगा !!
इश्क का बुखार सर चढ़ गया है यहाँ,
उपचार तो मिलन का योग बन गया !
दिल्लगी की बातें ना समझना सनम ,
प्यार के रोग का मैं शिकार हो गया !!
अब तो मुझे कुछ ,
न नजर आ रहा है !
तेरी यादों में दिल ,
बैठा जा रहा है !!
अब तो मुझे कुछ ,
न नजर आ रहा है !
तेरी यादों में दिल ,
बैठा जा रहा है !!
करूँ क्या जतन इतना मुझको बता दे
इलाज करते करते रोगी खुद बन गया
दिल्लगी की बातें ना समझना सनम ,
प्यार के रोग का मैं शिकार हो गया !!
तुम्हारी नज़र से नज़र जब मिली तो,
होश मेरे खो गए मैं बेकाबू हो गया !
दिल्लगी की बातें ना समझना सनम ,
प्यार के रोग का मैं शिकार हो गया !!
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखण्ड
भारत
26. 02. 2022.