प्यार के पर्याय
‘लगन’ लाये मात्रा तीन, ‘इश्क’ में होवे तीन।
जब ‘प्यार’ मिल जाता है, उसमें मात्रा तीन।
उसमें मात्रा तीन , तीन ‘मोह’ में आवे।
‘नेह’, ‘स्नेह’ में तीन, ‘प्रीति’ को तीन ही भावे।
कहे भाई अशोक , मात्रा तीन अपनावे।
तीन अक्षर का ‘प्रेम’,जीवन त सरस बनावे।
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◆◆◆अशोक शर्मा 31.05.21◆◆◆
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