प्यार के नए आयाम
सोचता हूँ
अगर कविता ने
न थामा होता मुझे,
कलम ने
न सहारा दिया होता,
बच्चों के मन सा भरे
शब्द अगर
ना आते खेलने आँगन,
और पन्नो का
स्पर्श ना मिलता
मुझ नवजात शिशु को,
तो कभी न जान पाता मै
कि तुम्हारा जाना
कोई दुख न था
कोई धोखा भी न था
एक राह थी
कि जहां चलकर
ये सब बाते परिणाम की ,
सुख भरी छाँव की,
समझ आती है मिथ्या
और समझ आता है कि
वास्तव मे
प्यार तो अब करना है मुझे।
और करते ही जाना है।
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© —- समर्पित_है_तुम्हें