प्यार के दो अल्फाज
इशारे वो इस कदर दिन मे
आजकल करने लगे हैं
नींद कम और सपने ज्यादा
अब रात आने लगे हैं ।
जुंबा से चुप हैं मगर
आंखों से सब बताने लगे हैं
जानते हैं वो दिल का हाल
शायद इसलिए सताने लगे हैं ।
किसी और की बात कर
निशाना हमे बनाने लगे हैं
चुपके चुपके धीरे धीरे
दिल मे हमारे समाने लगे हैं ।
सुनना चाहते हैं वो मेरी जुबां से
प्यार के दो अल्फाज जो गुनगुनाने लगे हैं
पार करेंगे नही वो हदों को
मुस्करा कर कई बार जताने लगे हैं ।।
राज विग