* प्यार की बातें *
** गीतिका **
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बरसती जा रही हैं खूब बरसातें।
कबूतर कर रहे हैं प्यार की बातें।
खुला छाता मिला है लाल सुन्दर सा।
कभी कुदरत दिखाती हैं करामातें।
करें क्या बात मन में आ नहीं पाता।
सहज होती नहीं देखो मुलाकातें।
गुटर गूं का बना माहौल है प्यारा।
सुखद मौसम बिताएं चान्दनी रातें।
यहां इन्सान ने गड़बड़ बहुत की है।
नहीं यूं ही बटीं है मुफ्त खैरातें।
धरा पानी गगन कचरा भरा देखो।
बहुत भारी पड़ेगी ये खुराफातें।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी (हि.प्र.)