प्यार की बदली नैनों से बरसती
प्यार की बदली नैनों से बरसती
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हसीं चेहरे से नजर नहीं हटती,
आँखें देखती हैं पर नहीं थकती।
चाँद सा रोशन मुख है जुगनू सा,
काली लटें मस्तक पर रहें सजती।
लाख कोशिशें की नजर फेरने की,
जाने क्यों नजरें वहीं जा अटकती।
छन छन की ध्वनि कानों में गूँजती,
पाँव की पायल रहती है खनकती।
माथे पर बिन्दी सुन्दर है लगती,
रात अन्धेरी हो तारों से चमकती।
झील से गहरे हैं नशीले दो नैन,
प्यास प्रेम की है जरा नहीं बुझती।
मनसीरत दीवाना दिन रात निहारे,
प्यार की बदली नैनों से बरसती।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)