प्यार की ज्योत जलाकर
मुझे
इंसानों से प्यार है
उसे दुनियावी चीजों से
उसमें भटकाव है
मेरे में ठहराव
मैं दिल में
प्यार की ज्योत जलाकर
जीती हूं
वह दिल में
बुरी प्रवृत्तियों के जाल
मैं ठोकर खाकर जो
गिरती रहती हूं तो
मुझे कभी चोट नहीं लगती
वह अपने ही बुरे कर्मों की
एक चिंगारी भड़कने से
उसमें जलकर
राख हो जाता है।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001