“प्यार का सपना”
मीटर-221-222-221-222
नज़रें मिलाके तुम कहदो मुझे अपना।
पूरा हुआ समझूँ मैं प्यार का सपना।।
दीदार तेरा हो कलियाँ खिलें दिल की।
आए सनम महफ़िल रौनक़ बढ़े पल की।
पागल करे तेरा हँसके गले मिलना।
पूरा हुआ समझूँ मैं प्यार का सपना।।
हसरत लिए ये दिल रब से दुवा करता।
दिन-रात आहें मिलने के लिए भरता।
है ज़ुस्तज़ू-दिल जीना प्यार में मरना।
पूरा हुआ समझूँ मैं प्यार का सपना।।
जो साथ तेरा हो तो हर ख़ुशी अपनी।
बनके चमन महके ये ज़िंदगी अपनी।
मैं प्यास हूँ तू धारा जल भरी बनना।
पूरा हुआ समझूँ मैं प्यार का सपना।।
नज़रे मिलाके तुम कहदो मुझे अपना।
पूरा हुआ समझूँ मैं प्यार का सपना।।
राधेयश्याम बंगालिया “प्रीतम”
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