प्यार का संगम
प्यार का संगम
दो फूल खिले हैं उपवन में ।
रौनक आ गई है बगिया में ।
दो प्रेम के फूल खिले दिल में।
रौनक आ गई है दुनिया में ।।
प्यार के सच्चे सपनों में
हम संग मिल गए हैं अपनों में ।
दिल की बात सुनी दिल ने
दिल – दिल संग हो गया अपनों के ।।
प्यारी प्यारी सी बातों में
मन मचल उठा है रातों में ।
ठंडी ठंडी सी मौसम में
मन मगन हो गया अपनों में ।।
इस प्यार के पावन बंधन में
दिल धड़क उठा अंतर्मन में ।
होंठो की प्यारी सी लाली
भा गई है होठों से दिल में ।।
दो फूल खिले हैं उपवन में ।
रौनक आ गई है बगिया में ।।
दो प्रेम के फूल खिले दिल में।
रौनक आ गई है दुनिया में।।
युवा कवि / लेखक
( गोविन्द मौर्या – प्रेम जी )
सिद्धार्थ नगर , उत्तर प्रदेश