प्यार का रिश्ता
दो इंसानों के बीच यहाँ बस इक प्यार का रिश्ता है,
प्यार पर भरोसा है, तो सारा जहाँ अपना लगता है,
जब तनहा हो जाते हैं, वो प्यार से महफूज़ होने वाले,
तो सारा जहाँ जैसे खोया खोया सा लगता है !!
निकल कर उन वादिओं से, जहाँ प्यार ही प्यार हो,
हर इंसान के साथ मेरा बस, यही एक रिश्ता है,
तनहा जीवन काटना बड़ा मुश्किल, यह जीवन का सफ़र है,
जीवन संध्या बीतने से पहले, बना जाऊं वो प्यार वाला रिश्ता !!
खो कर आज तुम्हारा साथ , मुश्किल लगती यह डगर है,
तुम प्यार से दो मीठे बोल बोल देती हो,जीवन सुंदर लगता है,
रिश्ता तो दुश्मनों का भी बन जाता है , मगर मैने
देखा है, उस में मीठा कम , कडवाहट वाला रिश्ता दीखता है !!
कवि अजीत कुमार तलवार
मेरठ