*प्यार का रिश्ता*
कब आओगे मिलने हमसे
कहता रहता हूं यही तुमसे
आ जाओ अब मिलने हमसे
सता रही है ये दूरी तुमसे
तुमसे शुरू होकर तुम में ख़त्म
छुपी नहीं है मेरी हालत तुमसे
हंसी में टाल जाते हो बात मेरी
बता दो कब होगी मुलाक़ात तुमसे
दिन का आगाज़ होता है तेरी याद से
फिर रात को सपने में मुलाक़ात तुमसे
ऐसे ही चल रही है मेरी ज़िंदगी तबसे
जबसे हुई है मेरी मुलाक़ात तुमसे
कब समझेगा तू मेरी हालात
जाने कब मुलाकात होगी तुमसे
कब होगा तू मेरे सामने सनम
कह पाऊं जब मैं दिल की बात तुमसे
सुना है बेचैन हो गया है तू भी आजकल
ये पीड़ा अकेले सही न जाएगी तुमसे
कह दोगे आकार जब तुम दिल की बात
यादगार हो जाएगी वो मुलाकात तुमसे
हो रहा है तेरे दिल में जो दर्द
तुम्हें निजाद दिलाना चाहता हूं उससे
तोड़कर ज़माने के सारे बंधन
ये प्यार का रिश्ता निभाना चाहता हूं तुमसे।