प्यार का मौसम बीत गया
तू सँभालती रही अपने गेसू,
प्यार का मौसम बीत गया।
तेरे चेहरे पर छाप उम्र की,
समय चितेरा चीत गया।
कुंद हुई मुख मंडल की आभा,
यौवन तेरा छीत गया।
श्यामल कुंचित केशों में,
श्वेत-धवल रंग दीख गया।
देख कर देह-यष्टि का ढलान,
छोड़ कर मन का मीत गया।
लख कर उसकी निष्ठुरता,
मनवा तेरा टीस गया।
युक्ति न अब कोई काम करेगी,
बेशक गाना गीत नया।
जयन्ती प्रसाद शर्मा