प्यार का “उपहार”
प्यार में देना क्या प्यार तो खुद एक उपहार है
इतना प्यार हो गया है की दिल भी बेकरार है
हवाओं के झोंकों को देखा छू रही है फूलों को
तितली उड़ी उड़ गिर रही है मानो उमड़ी झूलों को
हवाओ ने तितलियों के साथ फूलों को भी झुला दिया है
परंतु फिर भी तितलियों का प्यार फूलों से कम न हुआ है
कहे “आलोक ” इस युग में सच्चे प्यार की कमियां भरमार है
प्यार में देना क्या प्यार तो खुद एक उपहार है
इतना प्यार हो गया है कि दिल भी बेकरार है
✍️✍️ आलोक वैद”आजाद”