*प्यार का आभास है (गीतिका)*
प्यार का आभास है (गीतिका)
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(1)
राग कुदरत गा रही है ,प्यार का आभास है
पेड़ – पत्ती – टहनियों पर ,छा रहा उल्लास है
(2)
अब न रुखे दिन रहेंगे ,अब विरह की कब व्यथा
चूमने को पुष्प का रस ,अब भ्रमर की प्यास है
(3)
दिव्य फैली चाँदनी है ,पूर्ण फागुन चंद्रमा
आज की यह रात , पूरे साल में कुछ खास है
(4)
लो हृदय में बज उठी ,संगीत की धारा मधुर
लग रहा है प्रेम-प्रियतम ,आज कितना पास है
(5)
मिट गई दूरी दिलों की ,मिट गई नफरत सभी
वास भीतर प्यार का है , फागुनी मधुमास है
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रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा,
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 999 7 61 54 51