प्यार कर रहा हूँ मैं – ग़ज़ल
उन्वान – ” प्यार कर रहा हूँ मैं ” ]
अब भी उनसे प्यार कर रहा हूँ मैं ।
बेवफ़ा पर.. ऐतबार कर रहा हूँ मैं ।।
जल रहा हूँ हिज्र में शाम ओ सहर ।
फूल को……. अंगार कर रहा हूँ मैं ।।
ग़म, तन्हाई और आँसूओं से अब ।
ज़िन्दगी…… बेज़ार कर रहा हूँ मैं ।।
बाद मुद्दत…….. नज़र आये हैं वो ।
जी भर के…. दीदार कर रहा हूँ मैं ।।
नहीं है उम्मीद……नफ़े की वासिफ़ ।
फ़िर भी इश्क़ का व्यापार कर रहा हूँ मैं ।।
©डॉ वासिफ़ काज़ी , इंदौर
©काज़ी की क़लम