प्यार करने वाले
#दिनांक:-22/9/2023
#शीर्षक:- प्यार करने वाले
अब तो टूटकर बिखर जाउंगी
फिर भी नहीं आऊंगी
लाख जतन फिर करना
तुमसे दूर हो जाउंगी
ख्वाहिश को समझा तूने खिलौना
कतरा कतरा तोडा
अब ना जुड पाउंगी
हम तो मोम थे तेरी बातो से पिघल जाते थे
तू करेगा फोन
इसी इंतज़ार में राते कट जाते थे
ना तू करता याद,
ना तेरा फोन आया कभी
समेट कर ख्वाब सोती थी सभी
कईयों दफा मिलन चाहा
अपने घर पर भी अग्निवेश रहा
नहीं रूके कदम तेरी ओर बहती गयी
तुझे समझ समन्दर मैं नदी बनती गयी
एतराज था मेरी धडकनों को
तुम्हे भूल जाना
पर ना रास आया मेरा सावन बन जाना
अपनी प्रेम बारिश से तुझे भिगाना
अब जब दूर हूँ तो मेरी तलब कैसी
लिखते हो क्यूँ मुझे तुम हो वो ग़ज़ल जैसी
क्यूँ अब बेताब करने को बात
क्यूँ चाहते हो एक मुलाकात
अब क्यूँ फोन कर करके परेशान करते हो
चाहत आजाद है फिर पिंजरा क्यूँ रखते हो
अब नहीं हम मुडनें वाले
ये कदम ना पीछे हटने वाले
स्वाभिमान मेरा भी कुछ होता है
बहुत है मुझे प्यार करने वाले।
रचना मौलिक, अप्रकाशित, स्वरचित और सर्वाधिकार सुरक्षित है।
प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई