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29 Mar 2024 · 1 min read

प्यार आपस में दिलों में भी अगर बसता है

ग़ज़ल
प्यार आपस में दिलों में भी अगर बसता है
तब कहीं जा के मकानों में ये घर बसता है

मेरी आँखों में तो लगता है तुम्हें वीराना
ज़ेह्न में मेरे ख़यालों का नगर बसता है

ख़ुद ब ख़ुद पाँव थकन रौद के बढ़ जाते हैं
हौसलों में जो मेरे ज़ौक़-ए-सफ़र बसता है

रहता पुरनूर मेरे दिल का ये गोशा-गोशा
दिल में मेरे जो मेरा रश्क़-ए-क़मर बसता है

हाथ फैलाते नहीं है वो किसी के आगे
जिनके हाथों में कमाने का हुनर बसता है

दीदा-वर क्यों मुझे नाबीना समझते हैं ‘अनीस’
मेरी आँखों में मेरा नूर-ए-नज़र बसता है
– अनीस शाह ‘अनीस ‘

Language: Hindi
1 Like · 145 Views
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