प्यारे
जिंदगी की किताब में प्यारे
क्या क्या आया हिसाब में प्यारे
वक्त पूछेगा जब कभी उत्तर
दोगे क्या क्या जबाब में प्यारे
दर्द कब तक छिपा के रख्खोगे
यूँ ख़ुशी के नकाब में प्यारे
हर गम को पी लिया उनने
मिलाकर शराब में प्यारे
काम करता नहीं ‘विवेक’
किसी के दबाब में प्यारे।
डॉ विवेक सक्सेना