प्यारे मोहन
मेरे नटखट नन्द गोपाल, तेरे घुंघराले बालें बाल।
मोहिनी मूरत, सोहनी सूरत, मुकुट साजे है भाल।।
बासुदेव, देवकी ने नन्द जाओ, मथुरा – बृंदावन हुए निहाल।
बालपन की क्रीडाऔ को देख, नैना हुएं वेहाल।।
यशोदा और नंद का घर आंगन खुशियां रही महकाएं।
ग्वाल बाल संग कृष्ण कन्हैया,मटकी फोड़,माखन चुराएं।।
बांसुरी की मधुर धुन सुन,राधा रानी हुलस-हुलस जाएं।
गोर्वधन पर्वत पर कान्हा के संग,सुरिभि गाय खिंची चली आएं।।
श्याम वर्ण,पीलाम्बर ,मुकुट धारे, हमारे कान्हा जन-जन के हृदय विराजे।
मैया- मैया कर गोपाल, मां के आगे पीछे भागें।।
उपवन में तितलियां, खुशियों के फूलों पर मडरावें,
नटखट कान्हा उपवन की शोभा में,चार चांद लगावें।।
प्रेमालाप कर रही राघा, कृष्ण कन्हैया मंद – मंद मुस्क्ररावे।।
गोपियां संग राधेकृष्ण झूमे गाएं, डांडियां रास रचावें।।
रूठे , और रिझाएं,मोहन की अठखेलियां मन भावन लागें।
प्रेम की वंशी सुन कर,राधे की निंदियां जाएं भागें।।
सिर मोर,मोर पंख सुशोभें,कमर में करधनी,पेरों पैजनियां बाजें।
ठुमक – ठुमक कर का माखन चोर, मंत्रमुग्ध हो कर भागे।।
अति मनोरम है दृश्य,प्रक्रति के गुण गान गावें।
कृष्ण गोपाष्टमी महोत्सव पर, कृष्ण कन्हैया की जय कारा गूजा जावें।।
जय बोलो – जय बोलो,कृष्ण कन्हैया लाल की।
जग उतारें आरती, निकल रही आज मोहन प्यारे की पालकी।।
विभा जैन (ओज्स)
इंदौर (मध्यप्रदेश)