प्यारे बादल
कितने प्यारे बादल दिखते।
काले-भूरे और सफेद।।
कहां से लाते पानी इतना
हम बच्चे न जाने भेद।।
बूंदे छुपा-छुपा कर रख ली
और छुपा लेता तारे।
छुपा लिया चंदा को देखो
तारे रो-रो कर हारे।।
सावन में बरसाता पानी
छम छम करती हैं बूंदे।
बारिश में हम बच्चे नाचें
और अपनी आँखें मूंदे।।
हरियाली आई बागों में
जंगल में नाचा है मोर।।
सागर क्यों चुपचाप है बोलो
नदियाँ झरने करते शोर।।
विजय बेशर्म