प्यारे दद्दा जी
आज के दद्दा सुन भैया,
देखो का का है कर रये l
मूंछो पे जे ताब है दे रये,
संगफंटीआ नई धर रये ll
व्याह बराते जा रये तो ,
खुल रई दारु की पेटी।
गेलई मे फिर डोलत जा रये
काँच मे फस गई लेटी ll
जनबाँसे मे पहुँच के भैया,
मारे बहुत बटोले
कउ बैठे कउ खडे होत है
कउ जे कांच टटोले ll