पतोहन के साथे करें ली खेल
टुकड़े हुए दिल की तिज़ारत में मुनाफे का सौदा,
खाली सूई का कोई मोल नहीं 🙏
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - ७)
गैरों की भीड़ में, अपनों को तलाशते थे, ख्वाबों के आसमां में,
याद रखना कोई ज़रूरी नहीं ,
हर कदम बिखरे थे हजारों रंग,
चलने दे मुझे... राह एकाकी....
ग़ज़ल : कई क़िस्से अधूरे रह गए अपनी कहानी में
बाबू मेरा सोना मेरा शेर है
*दर्पण में छवि देखकर, राधा जी हैरान (कुंडलिया)*
नहीं किसी का भक्त हूँ भाई
तुमने तोड़ा मौन, बातचीत तुम ही करो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
जहाँ केवल जीवन है वहाँ आसक्ति है, जहाँ जागरूकता है वहाँ प्रे
अपनी निगाह सौंप दे कुछ देर के लिए