प्यारी सुबह
प्यारी सुबह
हे प्यारी सुबह
तुम कितनी प्यारी हो
शीतल पवन कोयल की कूक
सब मानव में प्राणशक्ति ऑक्सीजन फूंक
सुबह की लालिमा अतिसुंदर
चहलकदमी करते बंदर
सोते रह जाता है आदमी घर के अंदर।
मोंगरा रातरानी महके अतिसुंदर।
झिंगुरा करे शिप शिप
गोलू की आंखे चिप चिप
जल की बूंदे सींच- सींच
प्राणायाम करो सांसे खींच
चाय गरम सूप गरम
नाश्ता कर लो गरमागरम
समाचार पढ़ लो
न्यूज देख लो ये है हमारी करम
सुबह है जगना- जगाना
ये है हमारी धरम।
रचनाकार
संतोष कुमार मिरी
कविराज
रायपुर छत्तीसगढ़