प्यारा बंधन प्रेम का
प्यारा बंधन प्रेम का,रखिए बहु संभाल।
कच्चा धागा सम लगे,पल में बदले चाल।
पल में बदले चाल,जरा झटके में टूटे।
लगती दिल पे चोट, भाग्य जैसे हों फूटे।
कहता कविवर ओम,नहीं जुड़ता दोबारा।
रखिए यह संभाल,प्रेम बंधन है प्यारा।।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव