” पोस्ट कार्ड से मन हैं खाली ” !!
पोस्टकार्ड से ,
मन हैं खाली !!
अपनी चिंता जुटे सभी हैं !
याद सताये कभी कभी हैं !
संदेशे अब शीघ्र पहुंचते ,
हरकारे देते हैं ताली !!
पहले स्याही रंग भरती थी !
खतों से मुस्कानें झरती थी !
थोड़ा लिखा समझते ज्यादा ,
शब्द शब्द अब हुआ बवाली !!
मेल यहाँ ई मेल कराते ,
मोबाइल में सब कुछ पाते !
शर्म घटी , निर्लज्ज हुए हैं ,
फिर भी अधरों पर है लाली !!
दिनचर्या है बदली बदली !
हुए आलसी , दशा न संभली !
पढ़ना लिखना खेल कूद क्या ,
जीवन ही हो गया सवाली !!
स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्यप्रदेश )