पोथी समीक्षा -भासा के न बांटियो।
पोथी समीक्षा।
चर्चित साहित्यकार कुमार विक्रमादित्य हमर अर्थात आचार्य रामानंद मंडल विरचित मैथिली कविता संग्रह भासा के न बांटियो के संक्षिप्त समीक्षा कैलन हय। कुमार के हिंदी कविता संग्रह मेघलेखा आ हिंदी उपन्यास मास्टरवा प्रकाशित हय। उपन्यास मास्टरवा खूब लोकप्रिय उपन्यास में गिनल जाइत हय।हाल मे मैथिली कविता संग्रह अन्हारक दीप प्रकाशित भेल हय।जे खासी लोकप्रिय हो रहल हय। कुमार द्वारा भासा के न बांटियो के समीक्षा फेसबुक पोस्ट के साहित्य पिडिया के माध्यम से पाठक के बीच ज्यों के त्यो धरि दिन्ह चदरिया समान रख रहल छी।
आचार्य रामानंद मंडल जीक पोथी “भाषा के न बांटियो” जे मिथिला समाज ट्रस्ट सँ प्रकाशित भेल अछि । मैथिलीक एकटा नव स्वरूपक दर्शन करवैत अछि । हिनक पोथी मे संकुचित होएत मैथिली केर चिंता अछि । मैथिली कें विभिन्न क्षेत्रीय जगह पर संकुचित करबय केर चिंता हिनक पोथी मे सहजे देखाल पड़ैत अछि । भाषा कें विभिन्न परिधी सँ बाहर अनबाक छटपटाहट हिनक कविता मे स्पष्ट देखाल पड़ैत अछि । अवकाश प्राप्त करलाक बाद हिनक पोथी आओल ऐछि तें विभिन्न जगह पर हिनक अनुभव परिलक्षित होएत अछि । मिथिलाक ओहि छोड़ पर बैसि कें जे मैथिलीक सम्मान , मैथिल संस्कृति मैथिल पहनावा हिनक कविताक माध्यमे स्पष्ट देखाल पड़ैत अछि ओ एकटा सुच्चा मैथिले क सकैत अछि। कतो नारीक सम्मान केर लेल लड़ैत हिनक कविता तँ कतो मिथिला राजक संकल्पना हिनक कविताक माध्यमे आगाँ बढ़ैत अछि । सीतामढ़ी जतय जानकी जन्मलीह पैघ भेलीह ओ मिथिला सँ दूर भ रहल अछि से हिनक चिंता अछि । हम कोनो समीक्षक तँ छी नहि मुदा पोथी पढलाक बाद जे हमरा समझ आओल से लिखि रहल छी । एहिना हिनक कलम सदिखन चलैत रहय से कामना।
-कुमार विक्रमादित्य
साहित्यकार कुमार विक्रमादित्य केआभार प्रकट करैत आदरणीय पाठक के पढे के लेल आवाह्न करैय छी।
-आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सह साहित्यकार सीतामढ़ी।