पोता-पोती बेटे-बहुएँ,आते हैं तो उत्सव है (हिंदी गजल/गीतिका)
पोता-पोती बेटे-बहुएँ,आते हैं तो उत्सव है (हिंदी गजल/गीतिका)
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(1)
पोता-पोती बेटे-बहुएँ, आते हैं तो उत्सव है
एक साथ आपस में जब, बतियाते हैं तो उत्सव है
(2)
मोबाइल की बातों से कब, मन भर पाता है पूरा
परिवारी-जन एक साथ, दिख जाते हैं तो उत्सव है
(3)
सूने घर में त्योहारों का, क्या आना-क्या जाना है
छुट्टी लेकर संग-साथ, मुस्काते हैं तो उत्सव है
(4)
भागमभागी में रोजाना, जिसे मिला जब जो खाया
एक मेज पर एक साथ, जब खाते हैं तो उत्सव है
(5)
यों तो गठबंधन में बॅंध कर, सबको रहना पड़ता है
सुर लय ताल साज में जब, सब गाते हैं तो उत्सव है
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997 615 451