पैसे
पैसो की कारीगरी देखी हमने,
रिस्तो को बनते बिगड़ते देखा हमने।
भटकते हुए उन युवाओ को,
डिग्री के बोझ से डगमगाते देखा हमने।
किस्मत को न मानने वालो को भी,
किस्मत को मानते देखा हमने।
समय ने न जाने कितनो को,
अपना गुलाम बना डाला।
समय का नाम ले,
हस्ते रट देखा हमने।