पैसा
——–पैसा——–
अब तो ये पैसा ही महान हो गया।
सारा जग इसका गुलाम हो गया।।
क्या साधु -संत क्या योगी -भोगी,
क्या डाक्टर-वकील क्या मुजरिम रोगी,
ये पैसा ही दीन ओ ईमान हो गया ।।
अब तो………
पैसा है पास तो, मुट्ठी में आकाश,
वरना रूखी सूखी की भी ना आश,
पैसा ही सरकारी , फरमान हो गया।।
अब तो……….
सब सामान पैसे में बिकते देखा,
पैसे में ही इन्सान बिकते देखा,
सब हैं पुजारी ये भगवान हो गया।।
अब तो…………
इसी से हैं मंदिर, इसी से शिवाले,
इसके बिन कैसे कोई रिश्ते निभाले,
सिल्ला पैसे बिन परेशान हो गया।।
अब तो………….
-विनोद सिल्ला