पैसा या सम्मान
मुझे सम्मान चाहिए
अर्धांगिनी को पैसा.
पुरुषार्थ चार होते.
धन से काम
धर्म से मोक्ष
मनुष्य काम की पूर्ति के लिए पैसा कमाया करता है. जिससे स्त्री खुश और बहुत बार यह खुशी बाहर तक फैल जाती है.
इसलिए पैसा पैसा और सिर्फ़ पैसा.
सम्मान का रास्ता भी पैसों से होकर गुजरता है.
दोनों में सामंजस्य चाहिए.
ऊर्जा दो छौर के मध्य प्रवाह है.
गति के लिए.
ऋणात्मक और धनात्मक की पहचान और संज्ञान जरूरी.
पहले मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हो.
तभी आत्मनिर्भर सम्मान की बात सच्ची सिद्ध हो.
हंस महेन्द्र सिंह