पैसा पैसा का रिश्ता
जब मैं था तो कोई अपना नहीं
और जब पैसाआयातो सबअपनेहो गए
जब मैं फुर्सत में था तो लोग व्यस्त थे
मैं व्यस्त हुआ तो लोग फुर्सत में हो गए
जब मैं अकेला था तो कोई नहीं मेरे पास था
जब मेरे पास पैसा आया तो सब मेरे साथ हो गए
मुझे तब समझ आ गया
कि लोग मुझसे नहीं मेरे पैसों से रिश्ते निभा रहे थे
जब कह दिया सच लोगों को तो सब मक्खन लगा रहे थे
छोड़ दिया सबका साथ तोड़ दिए वह रिश्ते
अब नहीं किसी से कोई वास्ता
क्योंकि
मुझसे नहीं थे वो रिश्ते
पैसे से बने थे वो रिश्ते जो खाक में मिल जाते हैं वो रिश्ते निभ नहीं पाते हैं
** नीतू गुप्ता