पैर पग पग पर बहकने लगे
**पैर पग पग पर बहकने लगे**
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देख कर हम तुम्हें चहकने लगे,
फूलों की भांति हम महकने लगे।
खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं,
ऑंसू खुशी के है बरसने लगे।
चाँद तेरा मैं तू मेरी चाँदनी,
दिन में ही तारे चमकने लगे।
खो गया हूँ मैं तेरे आग़ोश में,
बाहों के झूलों में झूलने लगे।
तेरे आने से बहारें आ गई,
मौसम पल पल पर बदलने लगे।
मनसीरत के मन का अरमान हो,
पैर पग पग पर हैं बहकने लगे।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)