पैघ कवि के लाइव( कथा समीक्षा)
कथाकार- मुकेश आनन्द
समीक्षा- डाॅ. किशन कारीगर
मुकेश आनंद अपना कथा पैघ कवि के लाइब मे एकदम यथार्थ ईशारा क मैथिली कवि के फेसबुकिया लाइब सन जिनगी दिस तका नीक चित्रण केने यै.
हइ यौ हमरा नै चिनेहलौं? मुकुन्द बाबू अपना मने पैघ कवि छथि तइयो फेसबुक लाइब मे थोड़बे लोक जुड़ै छै त तामसे खौंजा क एडमीन के फोन करै छथि?
औ जी अनकर लेखनि के चर्च करै बेर अहाँ पैघ कवि हेबाक फुफकारे रहबै आ अपना लाइब बेर कम लोक जुटल त तामसे अघोर भऽ जेबै त लाइब मे कहियो बेसी दर्शक जुटतै? स्वयं अपना पर प्रशन करू स्पष्ट जवाब सोझहा आबि जाएत.
लागि जाउ आइ स लाइब के खेल मे लेखक मुकेश आनंद करगर व्यंग्य कऽ मैथिली कवि सबके सचेत क रहलाह.
नीक बेजाए नै देखियौ. लाइक कमेंट करैत रहियौ वला चरित्र मैथिली गिरोहबादी कवि सबहक पाखंड पर एकदम दमगर प्रहार.
यौ श्रीमान लोक लाइब मे तखने जुड़ै छै जखन अहाँ अनकर लाइब सुनबै देखबै एक नीक तंज आ सलाह बुझना गेल. एकटा सबक सेहो जे मैथिली लेखक कवि अनकर लेखनी वा लाइब के चर्च किए ने करै चाहैए. मैथिली कवि अपना गिरोह तक सिमटल रहबाक कारणे दर्शक पाठक स जुड़बा मे असफल रहैए जइ स मैथिली लेखक के स्वयं घाटा अछि.
कवि के अपने गिरोहक लोक के लाइब पर बेमतलबो हं मे हं मिला जबरदस्त, वाह वाह, बड बढिंया लिखि उहो नेहाल आ कवि सेहो गुमाने फूइल के तुम्मा? से किए यौ?
लेखक मुकेश आनंद अपन कथा मे दर्शक पाठक स जुड़बाक लेल सामूहिक प्रयास दिसि सेहो देखा रहलाह.
अइ कथा मे मैथिली कवि आ लाइब प्रोग्राम के असलियत नीक जेंका देखार भऽ रहल अछि.