*”पैगाम”*
“पैगाम”
तुम शांति दूत बनकर मेरा संदेश ,प्रभु के चरणों में रख आना।
युद्ध ,अशांति फैलाने कूटनीति ,रणनीति की बातों को बतला जाना।
धर्म संकट में है ये धरती ,मानव जीवन यह भी बता जाना।
संघर्षों से जूझता हुआ ,कठिन परिस्थितियों में झेल रहा वर्णन कर जाना।
प्राकृतिक आपदा महामारी ,आंतक से घिरे हुए है इसका ज्रिक भी करते आना।
कबूतर मेरे खत को ले जाकर, ईश्वर के चरणों मे रख आना।
मानव की करुण पुकार सुन , शांतिपूर्ण जीवन भयमुक्त जीवन दे जाना।
न जाने कबूतर तुम किस देश से आये हो, लेकिन उड़ते हुए ,वापस लौट संदेश लेते जाना।
देश की बिगड़ी हुई हालात परिस्थितियों का, आंखों देखा हाल वर्णन कर आना।
कबूतर सुन मेरा ये खत ,ईश्वर के चरणों मे रख आना।
हम सभी देशवासियों का संदेश, वाहक बन, लौट खुशियों की झोली भर जाना।
शशिकला व्यास