पैंसा
पैसों का मतलब होता हैं विकास , होशियार।
शुद्ध रूप में प्रचलित है आज |
पैसों वालों का हमेशा रहा हैं ठाठ
बिन पैसे के भूखे,नंगे,भिगमंगे हम ।
सबसे बड़ा हकीकत है ।
दरिद्रता अभिशाप, दु:ख,लाज है।
हकीकत दुनिया में, जीना चाहा हकीकत में,
खोखला पन ही मिला मुझे ।
नजदीकियों से मिला जख्म ही मुझे,
मेरे सीधेपन को बुद्दूपन समझा जाने लगा ,
कदर कहाँ उसकी,जहाँ ना हो चालाकी, रिश्तों की आड़ में,
पैसों के प्यार में (लेन – देन ) में, पैसों के लेन-देन में,
गुजर जाती हैं जिंदगी।
सबसे बड़ा कमजोर है।
जो नतमस्तक ईश्वर के आगे हर रोज है।
कहते हैं,इसे ढोंग है।जैसी भावना वैसी कामना।
फर्क करते अगर नजर होते।
_डॉ. सीमा कुमारी , बिहार (भागलपुर)
ये मेरी स्वरचित रचना है जो 7-I -021 की हैं जिन्हें आज प्रकाशित कर रही हूं।