पेड़
पेड़
पेड़, मैं डटकर खड़ा !
आंधी, तूफ़ान की लड़ाई से खूब लड़ा ..
साथी सहारी जुट गए,
तो कुछ रास्ते पर ही छूट गए ,
सरकार फिर भी न बिठाई मैंने,
शिकायत दर्ज नहीं कराई मैंने,
छाया, फल , फूल भी तो
तुम तक पहुँचाए मैंने l
मेरे घाव को अनदेखा कर,
पत्ती तो बलखाई है ,
मेरी मनोवृति देख ..
बदल ने भी दुःख की बारिश बरसाई है l
मैं डटकर खड़ा फिर भी
देख लो मेरी परछाई l
बहन हवा जो रूठ गई,
उससे फिर राखी बंधवाई है l
सच है यह तो
वक्त पर कोई मदद नहीं करता,
चिड़िया ने ही यही सीख सिखाई है l