पेड़
मत काटो मत काटो
टुकड़ों में मत बांटो
मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है
सूरज की कड़कती धूप खाकर
छांव तुम्हीं को दिया है
गंदी हवा खा कर
शुद्ध हवा तुम्हीं को दिया है
बचपन से अभी तक
मीठे फल तुम्हीं को दिया है
मत काटो मत काटो
टुकड़ों में मत बांटो
दर्द मुझे भी होता है
पर तुम्हें सुनाई नहीं पड़ता है
खून मेरे भी बातें हैं
पर तुम्हें दिखाई ही नहीं पड़ता है
पैसे की लालच ने तुम्हें
इतना गिरा दिया कि
तुम्हें कुछ दिखाई ही नहीं पड़ता है
सुशील चौहान
फारबिसगंज अररिया बिहार