पेड़ की संवेदना।
मैं प्राणवायु तुम्हें, देता हूं। तुमसे कब? कुछ मांगता। फिर भी तुम मुझे, काटते रहते हो! मैं तुम्हारे लिए सब कुछ सहता रहता हूं। तुम्हें मीठे, मीठे फल खिलाता रहता हूं। और तुम मुझे बदले में,क्या देते हो?पूछो अपनी अंतरात्मा से, केवल मुझे दर्द देते हो। मैं तुम पर अपनी जिंदगी न्यौछावर करता हूं। मनुष्य होकर भी तुम मुझे,कैसा व्यवहार करते हो!