पेट की आग
लगी हो पेट में आग तो कोई नही बुझाता है
सही तो दूर रहा गलत राह भी कोई नही सुझाता है
लगी……
उपाधि मिल जाती है जीवन के नाम पर
प्रश्न चिन्ह लग जाता है आदमी के काम पर
कर्म करते करते बन जाती है समाधि
धरी की धरी रह जाती है सारी उपाधि
छोटे छोटे बातों के चुभते रोज तीर
जो सह जाय वही सच्चा वीर
मौत रोज हमें बुलाता है
लगी……