पेइंग गेस्ट
पेईंग गेस्ट
“अरे यार, जल्दी कर। साढ़े छह बज गए। लगता है कि आज फिर से क्लास लेट पहुंचेंगे।” रमेश ने कहा।
“बस यार, मैं कंघी कर लूं, फिर निकलते हैं।” सुरेश ने कहा।
“वह तो चलते-चलते भी कर सकता है न। चल अब, जल्दी कर।” रमेश ने कहा और वे दोनों कमरे से बाहर निकल पड़े।
दोनों दोस्त नीट परीक्षा की कोचिंग के लिए राजस्थान के कोटा शहर में एक वृद्धा लक्ष्मी ताई के घर पेईंग गेस्ट के रूप में उनके फर्स्ट फ्लोर पर रहते थे।
जैसे ही वे दोनों नीचे उतरे, हमेशा की तरह लक्ष्मी ताई दिखीं नहीं, तो सुरेश ने कहा, “भाई, तुमने आज कुछ गौर किया ?”
रमेश ने पूछा, “क्या ?”
सुरेश बोला, ये लक्ष्मी ताई दिखी नहीं आज सुबह-सुबह। वह तो हमें रोज सुबह नीचे घर की साफ-सफाई करती हुई दीख जाती थी। पर आज ?”
रमेश लापरवाहीपूर्वक बोला, “छोड़ न यार। सो रही होगी आज बुढ़िया। हम वैसे ही लेट हो चुके हैं। अब ज्यादा पंचायती मत कर। बुढ़िया लंच टाइम तक टिफिन लेकर पहुंच जाएगी इंस्टीट्यूट में।”
सुरेश बोला, “नहीं यार। तू चल क्लास अटेंड कर। मैं देखता हूं लक्ष्मी ताई आखिर आज अभी तक उठी क्यों नहीं ? कहीं उनकी तबीयत तो खराब नहीं हो गई ?”
रमेश बोला, “ज्यादा सेंटीमेंट मत हो। हम लक्ष्मी ताई के पेईंग गेस्ट हैं, कोई सगा नहीं। हमारा और उनका संबंध सिर्फ लेन-देन पर आधारित है।”
सुरेश ने कहा, “देख भाई, हम पीजी होने से पहले एक इंसान भी हैं। हमारी कुछ नैतिक जिम्मेदारी भी बनती हैं उनके प्रति।”
रमेश बोला, “हां यार, बात तो तुम्हारी एकदम सही है। चल देखते हैं कि माजरा क्या है ?”
दोनों ने लक्ष्मी ताई का दरवाजा खटखटाया। दरवाजा अंदर से बंद नहीं था, सो खुल गया। पास जाकर देखा कि लक्ष्मी ताई तेज बुखार से बड़बड़ा रही हैं। वे दोनों तुरंत लक्ष्मी ताई को नजदीकी हॉस्पिटल ले गए। रास्ते में ही उन्होंने उसी शहर में रह रही लक्ष्मी ताई की इकलौती बेटी को फोन करके सूचित कर दिया। वे भी अपने पति के साथ तुरंत हॉस्पिटल पहुंच गईं। समय पर पता चल जाने से लक्ष्मी ताई का इलाज आसानी से हो गया।
हां, उस दिन दोनों को अपना पहला पीरीयड मिस करना पड़ा, पर उन्हें संतोष इस बात का था कि उन्होंने अपना कर्तव्य पूरा किया।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़