पृथ्वी दिवस
दोहे.. पृथ्वी दिवस पर
१. साध संकल्प सिद्धि से,
निश्चय करें श्रीमान्
पृथ्वी का कम दोहन करें
जीवन होगा तबआसान||
२. प्लास्टिक कचरा नकरें
धरा को दें जीवन दान
वायु स्वच्छ हो जायेगी
जीना होगा आसान||
३. पर्यावरण है जीवन की
सबसे बड़ी सौगात ,
हानिकारक तत्व तजैं
बनै तब कोई बात||
४.प्रकृति है श्रींगार धरा का
सुंदरता इसकी बढ़ाईये,
लें संकल्प ,रोपें पौधा
तन मन को हर्षाईये||
५. इक दिन” पृथ्वी दिवस ” नहीं
यह अवसर रोज मनाईये
हरियाली को बढ़ाईके
वातावरण स्वच्छ बनाईये||
६. आनें वाली पीढ़ी की भलि
मिलकर सोचें आज
देखभाल संग लगा पेड़
सुंदर बनें समाज||
७. अत्याचार मनुज.पृथ्वी पर करें आज से बंद,
जीवनदायक रोप , संकल्प संग बनेगी तबहिं वृन्द||
८. मनुज ही ऐसा जीव हैजो निज हित ,करता अत्याचार,
काट रहा वह असंख्य वृक्ष
जोपृथ्वी में जीवन का
आधार||
९. जहर बना जो प्लास्टिक
तन में पहुंचे बारम्बार,
कचरे से लें मुक्ति हम
सुंदर हो संसार||
१०.पृथ्वी के संसाधनों की सुरक्षा हेतु लीजिये इक संकल्प,
“प्राकृतिक सम्पदा संरक्षण”
बचता बस यही विकल्प||
११. जंगल बाग बचाईये ,
होगा सब तब सुखान्त,
वरना कंकरीट के ही जंगल में प्राणों का होगा अन्त||
१२. प्राकृत प्रेमउतार जीवन में , मानवता मिसाल बने, अन्नउपजै अधिक खेतों में
किसान भी मालामाल बनै||
कुमुद श्रीवास्तव ( वर्मा)..