पूर्णिमा बारहमासी
चौपाई
चन्द्र पर्व पूनम को माना।
चन्द्र किरण को निर्मल जाना ।।
सुंदरता की पायी उपमा ।
चंद्र वदन शोभित ज्यों नगमा।।
एक साल में बारह बारा।
पूर्ण चन्द्र निज रूप निखारा।।
धरा लोक पर उत्सव भारी।
नाम रूप की महिमा न्यारी।।
जन्म लिया हनुमान गुसाई।
चैत्र मास जब पूनम आई।।
वैशाखी तिथि बनी सुहावन ।
प्रकटे नृसिंह धरती पावन ।।
ज्येष्ठ मास वट पूजन करते ।
वंश सुरक्षा आसा रखते ।।
व्यास पूर्णिमा ज्ञान प्रदाता ।
माह आषाढ़ सबको भाता।।
आ जाता फिर रक्षाबंधन ।
प्रेम भाव का रिश्ता चंदन ।।
श्राद्ध पूर्णिमा पर्व मनोहर ।
पितर पूजते पुण्य सरोवर।।
अमृत किरण जब हो बरसाता।
शरद पूर्णिमा जगत मनाता।।
देव दिवाली कार्तिक बाली।
तिथि पूर्णिमा पुण्य की थाली ।।
दत्त पूर्णिमा अगहन मासी।
शाकम्भरी नाम है साची।।
माघी पूर्णिमा नदी स्नाना।
सुख समृद्धि देती फल नाना ।।
फागुन में जलती है होली ।
चन्द्र पूर्णिमा दामन चोली।।
सभी पूर्णिमा है शुभकारी।
दान पुण्य की महिमा भारी ।।
राजेश कौरव सुमित्र