पूर्णिमा का चांद
चांदनी में नहाई ये शाम
बेहद खूबसरत है लग रही
दिल में नई उमंग भर गई
देखकर ये उम्मीदें जग रही ।।
आज चांद है पूर्णिमा का
सफेद बादलों ने घेरा है उसे
सम्मोहित है वो तभी दुनिया से
छुपाने की कोशिश करते है उसे ।।
बादलों का घूंघट ना ओढ़ ले
इस बात की चिंता सता रही है
देखकर आज चांद की सुंदरता
प्रियतम की याद भी आ रही है।।
विरह में हो अगर प्रेमी तो
ये और भी मुश्किल समय है
देखकर चांद को बादलों में
मिलने की तड़प बढ़ रही है।।
सुंदरता का प्रतीक होता है चांद
पूर्णिमा को वो अति सुंदर दिखता है
छंट जाएंगे बादल,सुंदरता के सामने
कहां कोई ज़्यादा देर टिकता है।।
चकोर को चांद ही चाहिए
चितचोर को सनम ही चाहिए
ये तो रीति है इस जग की
जो नहीं है पास हमारे
सभी को सिर्फ वो ही चाहिए।।
चांद नायाब तोहफा है ईश्वर का
चांद की खूबसूरती हमेशा रहेगी
पूर्णिमा की चांदनी खूबसूरती को
हर महीने प्रदर्शित करती रहेगी।।