पूर्णिका.🙏🙏
ज़िंदगी को ज़िन्दगी में जीना आ गया
जहर इस जहाँ का पीना आ गया
सुना जो हाल उनका उनके मुख से
मेरे तन-बदन में पसीना आ गया
यूं तपा जिस्म मेरा सर्द महीने में
ऐसा लगा जेठ का महीना आ गया
देखा जो उसको तो दिल ने कहा
ये कहां से सामने कमीना आ गया
विशाल है बहुत दुख इस जीवन में
मगर अब जख्मों को सीना आ गया।
Vishal..🙏🙏