Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Jun 2023 · 1 min read

पूर्णिका.🙏🙏

ज़िंदगी को ज़िन्दगी में जीना आ गया
जहर इस जहाँ का पीना आ गया

सुना जो हाल उनका उनके मुख से
मेरे तन-बदन में पसीना आ गया

यूं तपा जिस्म मेरा सर्द महीने में
ऐसा लगा जेठ का महीना आ गया

देखा जो उसको तो दिल ने कहा
ये कहां से सामने कमीना आ गया

विशाल है बहुत दुख इस जीवन में
मगर अब जख्मों को सीना आ गया।

Vishal..🙏🙏

Language: Hindi
1 Like · 296 Views

You may also like these posts

घना शोर था
घना शोर था
Seema gupta,Alwar
जिंदगी में आते ही है उतार चढाव
जिंदगी में आते ही है उतार चढाव
shabina. Naaz
*दोस्त*
*दोस्त*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
गांधीजी की नीतियों के विरोधी थे ‘ सुभाष ’
गांधीजी की नीतियों के विरोधी थे ‘ सुभाष ’
कवि रमेशराज
याराना
याराना
Sakhi
"पारंपरिक होली और भारतीय संस्कृति"
राकेश चौरसिया
कभी निशाना  चूकता  नहीं।
कभी निशाना चूकता नहीं।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
इत्तिहाद
इत्तिहाद
Shyam Sundar Subramanian
जरूरी नहीं की हर जख़्म खंजर ही दे
जरूरी नहीं की हर जख़्म खंजर ही दे
Gouri tiwari
सब्र की शक्ति जिसके पास होती है वह महान इंसान होता है, सब्र
सब्र की शक्ति जिसके पास होती है वह महान इंसान होता है, सब्र
ललकार भारद्वाज
तुम में और मुझ में कौन है बेहतर
तुम में और मुझ में कौन है बेहतर
Bindesh kumar jha
वो इश्क़ कहलाता है !
वो इश्क़ कहलाता है !
Akash Yadav
गीत खुशी के गाता हूँ....!
गीत खुशी के गाता हूँ....!
singh kunwar sarvendra vikram
ह्रदय जब स्वच्छता से ओतप्रोत होगा।
ह्रदय जब स्वच्छता से ओतप्रोत होगा।
Sahil Ahmad
शीर्षक -हे !पथ के स्वामी
शीर्षक -हे !पथ के स्वामी
Sushma Singh
भोले बाबा है नमन
भोले बाबा है नमन
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
ग़ुरूर
ग़ुरूर
सिद्धार्थ गोरखपुरी
पेपर लीक हो रहे ऐसे
पेपर लीक हो रहे ऐसे
Dhirendra Singh
ख्वाब जब टूटने ही हैं तो हम उन्हें बुनते क्यों हैं
ख्वाब जब टूटने ही हैं तो हम उन्हें बुनते क्यों हैं
PRADYUMNA AROTHIYA
निःशब्दता हीं, जीवन का सार होता है......
निःशब्दता हीं, जीवन का सार होता है......
Manisha Manjari
मेरे अधरों पर जो कहानी है,
मेरे अधरों पर जो कहानी है,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
"एक नज़र"
Dr. Kishan tandon kranti
अँधेरे में नहीं दिखता
अँधेरे में नहीं दिखता
Anil Mishra Prahari
दिवाली है दीपों का पर्व ,
दिवाली है दीपों का पर्व ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
इस ज़िंदगी ने तो सदा हमको सताया है
इस ज़िंदगी ने तो सदा हमको सताया है
Dr Archana Gupta
** पर्व दिवाली **
** पर्व दिवाली **
surenderpal vaidya
पर स्त्री को मातृशक्ति के रूप में देखना हनुमत दृष्टि है, हर
पर स्त्री को मातृशक्ति के रूप में देखना हनुमत दृष्टि है, हर
Sanjay ' शून्य'
दिखने वाली चीजें
दिखने वाली चीजें
Ragini Kumari
।।
।।
*प्रणय*
ज़िन्दगी तेरी बनना जायें कहीं,
ज़िन्दगी तेरी बनना जायें कहीं,
Dr fauzia Naseem shad
Loading...