” पूरे सौ “
सहयोग सभी का रहा बहुत हम सबके आभारी हैं,
प्रसन्नता है ये कहने में सौवीं रचना की बारी है ,
अपने अथक प्रयासों से यह सपना सच कर पाएंगे,
इस रचना के साथ ही हम कलम से शतक लगाएंगे,
ऐसे ही जो प्रेम मिले तो बेहतर करने की आशा है,
हजारों स्वरचित रचनाओं के संकलन की अभिलाषा है?