पूरी करता घर की सारी, ख्वाहिशों को वो पिता है।
ग़ज़ल
2122…….2122……..2122…….2122
पूरी करता घर की सारी, ख्वाहिशों को वो पिता है।
रात दिन जो झेलता है, जहमतों को वो पिता है।
कोई भी डर जायेगा, दुनियां में इतनी मुश्किलो हैं,
चुटकियों में हल करें जो, मुश्किलों को वो पिता है।
वक्त की जब मार पड़ती, रोते हैं दुनियां के लोग,
जो दबा ले अपने अंदर, सिसकियों को वो पिता है।
खोजती है रास्तों को मंजिलें पाने को दुनियां,
जो बनाता मंजिलों तक, रास्तों को वो पिता है।
रात की ठिठुरन से बच्चों को बचाता हर तरह से,
खुद जो चादर में बिता दे,सर्दियों को वो पिता है।
आपसी मतभेद झगड़े औ’र लड़ाई घर में होते,
जो मिटा दे घर की सारी, नफ़रतों को वो पिता है।
प्यार में दिल टूटते हैं कितने ‘प्रेमी’ प्रेमिका के,
जोड़कर रखता है सबके ही दिलों को वो पिता है।
…….✍️ प्रेमी