पूज्य पिता का ध्यान करें
पूज्य पिता का ध्यान करें !
शुचि धर्म सत्कर्म के शाश्वत दृढ़ प्रतिमान ;
पुण्यभूमि के दीपों का तूझसे ही सम्मान !
मही-व्योम सर्वत्र दिशाओं में केन्द्रीय ध्यान ;
तेरे स्नेह वैभव धार के ,कहां मूल्य का भान ।
स्नेह सरसमय मधुमय सींचन, शीतल सुरम्य व्यवहार ;
वीर-व्रती स्तम्भों के , युगों का सार आधार ।
बलिदानी बेटों का गौरव , समेटे गहरे द्वंद संताप ;
नतमस्तक होते दिग्वलय , हे युगों के। पुण्य प्रताप !
उदात्त भाव लिए धवल धार , हे प्रखर ! पुण्यस्मृतियों के नाप ;
परिस्थितियों में भी डूब-उब, कहां भूलता बेटों का बाप !
आएं पुण्य स्मृतियों में , संपूज्य पिता का ध्यान धरें ;
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने , पुनः एक बार प्रस्थान करें ।
✍? आलोक पाण्डेय ‘विश्वबन्धु’
भारतवर्ष के वीर योद्धाओं के संपूज्य पिता को सादर वंदन ।
हमारे राष्ट्र का प्रत्येक दिवस ही माता-पिता और मातृभूमि को समर्पित है। केवल और केवल एक दिन का दिखावा मात्र नहीं।