पूँजी, राजनीति और धर्म के गठजोड़ ने जो पटकथा लिख दी है, सभी
पूँजी, राजनीति और धर्म के गठजोड़ ने जो पटकथा लिख दी है, सभी पात्रों को उसी के अनुसार अभिनय करना पड़ रहा है। निराश न हों, हर पटकथा की एक काल अवधि होती है। गब्बरसिंह शुरू में ही निपट जाता तो शोले फिल्म साढ़े तीन घंटे थोड़े ही चलती।
—सम्पत सरल / ‘निठल्ले बहुत बिजी हैं’ पुस्तक से