पुस्तक
जग में सभी स्वजन,
साथ तट देता है हमारा,
न तजता साथ हमारा,
जीवन फतूर साथ निभाता है,
वह स्वजन हमारा पुस्तक है।
पुस्तक से ही हम,
अर्जित करते ज्ञान है,
ज्ञान न होने से,
मूर्ख होता है मनुष्य,
ज्ञान होने से ही,
बुद्धिमान होता है मनुष्य।
पुस्तक ने ही मनुष्यों को,
अटाया है मंजिलों तक,
मंजिल अगटते ही मनुष्य,
बिसराव जाते है पुस्तक को,
वह मनुष्य वही ठिठक जाता है।
जीवन में निरंतर अग्र,
बढ़ना चाहते हो तो,
जीवन फतूर पुस्तक का,
सम्मान करना होगा।
विद्यार्थियों का भविष्य बनाता पुस्तक,
अनपढ़ को ज्ञान बाँटता पुस्तक,
बच्चो का आदर्श है पुस्तक,
हमारा सच्चा स्वजन है पुस्तक।
नाम :- उत्सव कुमार आर्या
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार